भारत के बारह पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के श्रीशैल पर्वत पर स्थित है। यह स्थान भगवान शिव के मल्लिकार्जुन और माता पार्वती के भृमरी देवी स्वरूप की दिव्य भूमि है। यहां दर्शन करने से भक्त के जीवन से सभी बाधाएँ दूर होती हैं और मोक्ष का मार्ग प्राप्त होता है।
📍 मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग कहाँ स्थित है?
-
राज्य → आंध्र प्रदेश
-
स्थान → श्रीशैल पर्वत
-
नदी → कृष्णा नदी के तट पर
-
ऊँचाई → 1475 मीटर
यह मंदिर घने वनों और पर्वतों से घिरा हुआ है और इसे दक्षिण का कैलाश कहा जाता है।
🔱 मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा
पुराणों के अनुसार, गणेश और कार्तिकेय में विवाह को लेकर विवाद हुआ। शिव-पार्वती ने कहा:
“जो तीनों लोकों की परिक्रमा करके पहले आएगा, उसी का विवाह पहले होगा।”
कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर निकल पड़े जबकि गणेश जी ने माता-पिता की तीन परिक्रमा करली। उन्हें विजयी घोषित किया गया। यह बात सुनकर कार्तिकेय क्रोधित होकर पर्वत की ओर चले गए।
अपने पुत्र के दुख से व्याकुल होकर शिव-पार्वती श्रीशैल पर्वत पहुँचे, और वहीं शिवजी मल्लिकार्जुन रूप में विराजमान हुए।
🌸 “मल्लिकार्जुन” नाम का अर्थ
-
मल्लिका = चमेली का फूल
-
अर्जुन = भगवान शिव
यहाँ शिवजी को चमेली के फूल अति प्रिय हैं। इसलिए इन्हें मल्लिकार्जुन कहा जाता है।
🙏 दर्शन और पूजा का महत्व
यहाँ की पूजा से —
✔ दांपत्य जीवन में प्रेम
✔ संतान प्राप्ति
✔ मनोकामना पूर्ण
✔ पितृ दोष व कालसर्प दोष से मुक्ति
✔ मोक्ष का आशीर्वाद
मिलता है।
⏰ दर्शन का समय
| समय | विवरण |
|---|---|
| सुबह | 4:30 AM – 3:30 PM |
| शाम | 6:00 PM – 10:00 PM |
🚩 कैसे पहुँचें?
नजदीकी हवाई अड्डा: राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा (हैदराबाद)
नजदीकी रेलवे स्टेशन: मार्कापुर रोड
नजदीकी शहर: कर्नूल, हैदराबाद
हैदराबाद से श्रीशैल तक बस और टैक्सी सेवाएँ उपलब्ध हैं।
🌼 क्या चढ़ाएँ?
⭐ चमेली के फूल (सबसे प्रिय)
⭐ बेलपत्र
⭐ दूध / दही / शहद
⭐ जल / गंगाजल
✨ निष्कर्ष
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग भक्ति, प्रेम और त्याग का प्रतीक है। यहां दर्शन करने वाला भक्त जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सुख और समृद्धि का अनुभव करता है।
👉 मान्यता है कि जो व्यक्ति श्रीशैल धाम दर्शन करने आता है, वह स्वयं भोलेनाथ का बुलाया हुआ होता है।